‘गुजरात मॉडल’
क्या ‘गुजरात मॉडल’ का इतना प्रचार जायज है? ख़ास तौर पर ये देखते हुए, कि कई राज्यों ने ना केवल विकास के मामले में गुजरात से बेहतर प्रदर्शन किया है, बल्कि मानव विकास सूचकांक (HDI) के मानकों पर भी गुजरात इनसे कहीं पीछे रहा है ?
श्री नरेंद्र मोदी के शासन के दौरान गुजरात में आर्थिक चमत्कार का बहुत हौव्वा बना है। उन्होंने और उनके समर्थकों का दावा है कि गुजरात श्री मोदी के शासन में आर्थिक प्रदर्शन में अव्वल रहा। क्या आंकड़े इस दावे की पुष्टि करते हैं?
विकास आंकड़े
मैंने नीति आयोग वेबसाइट से सभी राज्यों के प्रतिशत GSDP (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) के आंकड़े डाउनलोड किये, और तुलना के लिए एक तालिका बनाई जाती है। राज्यों के बीच विकास की तुलना करने के लिए, मैं समय रेखा के लिए वही साल (2005-2014) चुने जिनके आंकड़े सभी राज्यों के लिए उपलब्ध थे, और सामान्यीकृत 100 पर प्रारंभ का इस्तेमाल किया।
यदि आसान शब्दों में कहा जाए, यानी कि अगर सभी राज्यों के GSDP 2005 में 100 पर था, तो 2014 में वो किस स्तर तक पहुँचे?
2005-2014 की अवधि के दौरान गुजरात वास्तविक GSDP के विकास में सभी राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेशों में भारत में 14 वें स्थान पर रहा।
अब, सिक्किम जैसे कुछ बहुत छोटे राज्य अपवाद या ऑउटलायर्स (outliers) हो सकते हैं, लेकिन हम उन्हें छोड़ भी दें, तो भी उत्तराखंड, तेलंगाना, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे कई बड़े राज्यों ने GSDP के विकास में गुजरात से बेहतर प्रदर्शन है किया है । (नीचे ग्राफ में कुछ बड़े राज्यों के विकास से पता चलता है, लाल रेखा गुजरात के विकास को दर्शाती है)
मानव विकास सूचकांक (HDI) कारक
यही नहीं, इनमें से कुछ राज्यों ने मानव विकास सूचक (HDI) कारकों पर गुजरात से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। इस में HDI जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy), आय और शिक्षा पर आधारित गणना की जाती है और इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा जीवन की गुणवत्ता का स्तर नापने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लंदन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स के कुछ विद्वानों के एक अध्ययन के अनुसार, वास्तव में, श्री मोदी के शासन के दौरान गुजरात ने HDI में काफी खराब प्रदर्शन किया है, और HDI स्कोर पर भारतीय राज्यों की की तुलना में अपनी अपेक्षकृत बढ़त को खोया है ।
विशेष रूप से, महिलाओं और बच्चों के कारकों पर इसके आँकड़े अपेक्षाकृत बहुत खराब हैं, और इनमें से कई में, गुजरात अपने पड़ोसी महाराष्ट्र, जो गुजरात की तरह ही आर्थिक दृष्टि से एक अपेक्षाकृत समृद्ध राज्य है, के बजाय आमतौर पर बहुत गरीब राज्यों के साथ पाया जाता है।
लिंग अनुपात के आधार पर गुजरात की ऑल इंडिया रैंकिंग : 2011: 24, 1991 में 17th से भी काफी नीचे।
गुजरात की बच्चों के कुपोषण की रैंकिंग, (इसमें कम से कम कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या को ऊंची रैंकिंग मिलती है) : 2011 में 21, 1998 में 20 वीं ।
जब 2012 में वाल स्ट्रीट जर्नल ने श्री मोदी से गुजरात में बच्चे कुपोषण के बारे में पूछा, उन्होंने बताया था:
“गुजरात भी एक मध्यम वर्ग राज्य है। चुनौती ये है कि मध्यम वर्ग स्वास्थ्य के प्रति सजग-सचेत होने के बजाए सौंदर्य के बारे में सोचता है। अगर एक माँ उसकी बेटी के दूध के लिए कहती है, उनकी लड़ाई हो जायेगी। वह अपनी मां को कहेगी ‘मैं दूध पीना नहीं चाहती। मैं मोटी हो जाउंगी.’ इनके पास पैसा है, लेकिन वह स्वास्थ्य के प्रति सचेत नहीं है सौंदर्य है, के प्रति सचेत है”
इसके अलावा, कन्या केलवणी योजना की एक तथाकथित सफलता के बावजूद, जिसका स्वयं मोदीजी ने काफी प्रचार किया, गुजरात अभी भी बालिका शिक्षा में 21 बड़े राज्यों में 20वे स्थान पर है.
यह सब देखते हुए सवाल उठता है, हम किसी ‘तेलंगाना मॉडल’ या ‘तमिलनाडु मॉडल’ के बारे में इतना प्रचार आखिर क्यों नहीं सुन रहे?
आपका प्रयास अत्यंत सराहनीय और देश की एकता अखण्डता को बनाये रखने का अतुलनीय प्रयास है, जुमला नहीं।
इसे इसी तरह बनाए रखें, बाकी लेख भी हिंदी में शीघ्र प्रकाशित करें।
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