राफ़ाएल घोटाले को लेकर उठे सवालों पर सरकार द्वारा “राष्ट्रीय सुरक्षा” की आड़ में छिपना, तथ्यों को तोडना मरोड़ना, और सफ़ेद झूठ बोलना इस घोटाले को लेकर और भी शक़ पैदा करता है. यदि आपको पहले इस मसले पर कोई गड़बड़ नहीं भी दिख रही थी, तो अब ज़रूर शक होना चाहिए।
बुलेट ट्रेन – एक शहंशाह का सफ़ेद हाथी
क्या बुलेट ट्रेन परियोजना आर्थिक रूप से व्यवहार्य है, या क्या यह केवल एक लापरवाह, घमंडी और झक्की शाषक की ज़िद का सफ़ेद हाथी है?
राफेल घोटाला
प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल सौदा फिर से कुछ इस तरह से कर डाला है कि अंबानियों को भारी फायदा पहुँचे, और इसमें भारत को बहुत अधिक नुकसान हो रहा है। अब किसी भी टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण के बिना हम पहले से तिगुनी कीमत पर कम विमानों को खरीद रहे हैं
4G घोटाला – जीयो और खाओ
2G स्पेक्ट्रम की नीलामी से अपेक्षित 1,76,000 करोड़ रुपए का 1/10 वां भाग से भी कम खर्च कर, अंबानी ने राष्ट्रव्यापी 4G स्पेक्ट्रम पा लिया, मगर इसका तनिक भी विरोध नहीं हुआ है
नोटबंदी – एक तुगलकी फ़रमान
एक गलत निशाने पर चलाया गया तीर, जिसकी योजना बहुत बेकार तरीके से सोची गयी, जिसने लाखों गरीब लोगों के जीवन को बे-वजह नुक्सान पहुंचाया, और जिसे किसी ठोस आर्थिक आधार या देश हित की सोच पर नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ कमाने के लिए चलाया गया
‘गुजरात मॉडल’
क्या ‘गुजरात मॉडल’ का इतना प्रचार जायज है? ख़ास तौर पर ये देखते हुए, कि कई राज्यों ने ना केवल विकास पर गुजरात से बेहतर प्रदर्शन किया है, बल्कि मानव विकास सूचकांक (HDI) के मानकों पर भी?
जीएसटी बिल – विपक्ष में रहकर देशभक्ति
2009-2014 के दौरान एक बेहतर जीएसटी बिल का भाजपा ने बेवजह बहाने देकर विरोध किया।क्या वास्तविक “देशभक्त” राष्ट्र के हित के बारे में केवल तभी सोचते हैं जब वो सत्ता