स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का योगदान

वो महात्मा गांधी ही थे, जिन्होंने अकेले स्वतंत्रता संग्राम एक जन आंदोलन बनाया

संघी प्रोपगैंडा महात्मा गांधी पर लगातार हमला करता आया है। हालांकि आरएसएस ने खुद तो स्वतंत्रता संग्राम में योगदान नहीं दिया है, वो किसी भी गैर कांग्रेसी स्वतंत्रता सेनानी की विरासत को हथियाने के लिए उत्सुक रहते हैं – इस तरह के कम्युनिस्ट (और नास्तिक!) भगत सिंह, या समाजवादी बोस, जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में , कांग्रेस के अधिकारियों के लिए हिंदू महासभा, मुस्लिम लीग या आरएसएस जैसे सांप्रदायिक संगठनों के साथ दोहरी सदस्यता प्रतिबंध लगा दिया था, आज संघ के हीरो बन गए हैं.

ऐसे सभी प्रोपगैंडा में, गांधी और नेहरू पर लगातार हमले किये जाते हैं, उनके योगदान को कमजोर करने का एक लगातार प्रयास रहता है।

इसलिए, चलिए एक बार फिर से देखें, गांधी हमारे लिए क्या किया है?

1915: गांधी भारत में पहुंचे। उन्होंने तुरंत देखा कि कांग्रेस केवल संभ्रांत शहरी भारतीयों के एक क्लब था, जो छोटे शहरों और गांवों में आम आदमी के साथ नहीं जुड़ सका था.

उन्होंने पूरे देश का दौरा किया, और किसानों के कुछ स्थानीय मुद्दों में शामिल होना शुरू कर दिया। (चंपारण 1917, खेड़ा 1918)।

1921 में उन्हें कांग्रेस में कार्यकारी शक्तियां मिली । उन्होंने तुरंत सदस्यता को समावेशी बनाया, ताकि अधिकाधिक आम लोग सम्मिलित हो सकें, और असहयोग जन-आंदोलन शुरू कर दिया।

1922 में चौरी-चौरा हादसे के बाद यह बंद किया गया। उन्हें कई वर्षों के लिए जेल में डाल दिया गया था। बाहर आने पर, उन्होंने फिर से जन आंदोलन को जड़ से तैयार करने की कोशिश की. खादी आंदोलन शुरू करने और अस्पृश्यता से छुटकारा पाने, और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने पर जोर दिया ।

1928 में, उन्होंने बारडोली सत्याग्रह में सरदार पटेल की मदद की

1930 में गांधी ने (दांडी मार्च सहित) सविनय अवज्ञा शुरू की, और कांग्रेस ने अध्यक्ष नेहरू के नेतृत्व में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की (26 जनवरी)। इससे पूरे देश में एक विशाल जन आंदोलन शुरू हुआ, और 100,000 गिरफ्तारी देने के लिए सामने आये

1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया।

तो हमको ये दिखाई देता है, कि मूलतः गांधीजी के प्रयासों से स्वतंत्रता एक जन आंदोलन बना था। उन्होंने छोटे शहरों और गांवों में आजादी की लड़ाई के प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया, अन्यथा, स्वतंत्रता की बात सिर्फ एक संभ्रांत वर्ग के लिए बहस के मुद्दे से अधिक कुछ नहीं था।

याद रखिये कि गांधी जी यह सब हासिल करने में तब कामयाब रहे, जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व्यावहारिक रूप से न के बराबर था , अधिकाँश भारतीय अनपढ़ थे, और ग्रामीण भारत में – जहां ज्यादातर आबादी रहती थी – संचार और परिवहन की मूलभूत सुविधाओं से भी बहुत थी । आखिर वह यह सब हासिल करने में सफल कैसे रहे ? यह उनकी भागीदारी की तकनीक के माध्यम से सम्भव हो सका, उनकी अपील सभी को अपने अभियान के रूप में दिखती थी, ना कि गांधी के व्यक्तिगत अभियान की तरह।

क्या असहयोग, या भारत छोड़ो आंदोलन 1915 में ही शुरू कर दिया जा सकता था, जब कांग्रेस सिर्फ मुंबई के कुछ वकीलों तक ही सीमित थी ? क्या यह प्रभावी होता? जाहिर है, उन्हें पहले लोगों को शामिल करना पड़ा, और यह सब कुछ करने में काफी समय और प्रयास लगा।

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14 comments

  • अशोक जैन

    दुख होता है जब गांधी जी की हत्या के बाद भी चरित्र हनन संघ करता है। भगतसिंह जी को लेकर युवा वर्ग के मन में गलत छवियों उकेरते हैं ।

  • अशोक जैन

    दुख तब होता है जब जहरीली विचारधारा ने गांधी की हत्या कर दी और मारने के बाद चरित्र हनन करना भी बंद नहीं किए। भगत सिंह की फांसी को लेकर गांधी को कटघरे में खड़ा करने वाली संघी आज कांग्रेस की गलती से देश का शासन चला रहे हैं। सत्ता के संरक्षण में गांधी, नेहरू स्वतंत्र आंदोलन को कालिख पोत रहे हैं।

  • दुखी से नहीं होता कि गांधी चले गए बल्कि इससे होता है कि गांधीजी के जाने के बाद में उनकी आलोचना की जाती है गांधीजी ने हमारे अस्तित्व के लिए बहुत कुछ किया है इसीलिए हम उनके सम्मान के लिए फिर एक बार गांधी जयंती पर उनको याद करते हैं 2 अक्टूबर 2017 धन्यवाद

  • गांधीजी ने 1915 से 1950 तक अपना अमूल्य समय देकर भारत को आजाद किया और भारत के लिए संविधान निर्माताओं अतुल्य सहयोग देकर हमें कृतार्थ किया इसलिए सभी भारतीयों से निवेदन है कि फिर एक बार गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2017 को हमें याद करने का मौका मिला है फिर इसमें चुप क्यों आओ भारतीय हम साथ मिलकर गांधी जयंती में मनाई आप सभी से मुझे आशा है कि आप गांधी जयंती को हर्षोल्लास से मनाएंगे

  • Ghadhi ji ne hamare Bhagat Singh ko Marwa diya aur angrejo ne ghandi ji se pucha bhi tha koi problem toh nahi hoti desh main fhasi de di toh i’m pushpender sen

  • Jab wo 23 saal ka ladke ko fhasi ho rhi thi tab kaha the log

  • गाँधीजी के जैसा स्वतंत्रता सेनानी फिर हमें नहीं मिलेगा जन्होने अकेले अपने दम पर अनगिनत आंदोलन किये और जेल की यातनाएं सही चले हमलोग फिर से एक नई गांधीवादी युग का सूत्रपात करते है उनको अपनी अंतरात्मा में बिठाकर।

  • Ye sahi nhi hai Mahatma Gandhi Ji ne is desh k liye, is desh ki mitti k liye kya Kuchh nhi kiya parantu kuchh log aaj bhi unke baare mein glt vichaardhara rakhte hai. Na keval rakhte hai balki logon mein failaate bhi hai. Ye galat hai. Ese logon se mera anurodh h ki kripya esi vichardharaon ko na failaye. Or eak baar Mahatma Gandhi ke jeevan charitra ko padhen or samjhe ki unka is desh k prati Kiya Prem or yogdaan hai.
    Dhanyavaad.
    School girl, class 9th.

  • Gandhi ji desh ko sahi raste pr lain gye h or unko Bhagat Singh ji ke fansi ka doshi theraya jata h woo Baat galat h inhone esha kuch nhi kiya…. Wo jb jail main the jb unko fansi dain di gye or fasnsi morning m dain di gye or unko sham ko bataya angrej sena ne

    Gandhi ji acha karna chate the pr unko bataya bigger he fansi dain di gye thi

    Gandhi ji or Bhagat Singh ji ke charnon main sat sat naman

  • सुभाष बहादुर सिंह

    देश के लिए जिसने अपना जीवन दे दिया और हिनके कारण आजादी मिली, उन नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में तो कोई बात नहीं करता और जिसको सजा के नाम पर पुलिस की के लाठी भी न पड़ी हो, जिसको जेल में सारी सुविधाएं मिलीं हों, उसका गुणगान देश आज भी कर रहा है। स्वामी श्रद्धानंद जी के हत्यारे रशीद को गांधी ने अपना भाई कहा। उनका कहना था की अगर कोई मुसलिम किसी हिन्दू को मारने आए तो हिंदुओं को निडर होकर अपनी मौत का सामना करना चाहिए लेकिन किसी मुस्लिम को नहीं मारना। और उनके सत्य के प्रयोग के बारे में किसी को कुछ नहीं कहना? अपनी पोती के संग कोई नंगा सोता है?
    गूगल में ये कीवर्ड सर्च करें “क्या गांधी अपनी पोती के साथ निर्वस्त्र सोते थे”? आप लोगों को वही सच लग रहा है जो आपको पढ़ाया गया। हमारे पाठ्यक्रम का पूरा इतिहास विकृत है। काकोरी कांड ( हमारे लिए तो ये गर्व की बात है लेकिन हम अभी भी इसे कांड के नाम से पढ़ते हैं) की जरूरत भी इसलिय पड़ी क्यों की क्रांतिकारियों को ये समझ आ चुका था की बिना शस्त्र उठाए अब स्वतन्त्रता नहीं मिलेगी क्यों की गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन zero में वापस ले लिया था और हमारे तीन महान क्रांतिकारियों को फांसी हो गई।
    और इस पर भी ये सवाल कोई नहीं पूछता की भारत तो खुद अपनी स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहा तो उन्होंने खिलाफत आन्दोलन‎ के साथ हाथ मिला लिए जो हाल ही में तुर्की शासक कमाल अतातुर्क द्वारा समाप्त किए गए सर्व-इस्लामवाद के प्रतीक खलीफ़ा की पुनर्स्थापना की माँग कर रहा था। गज़ब है भाई।
    देश को वाकई आजादी मिली है क्या? 15 अगस्त को हमारा एक भाग टूट कर मुस्लिम राष्ट्र बन गया लेकिन हम हिन्दू राष्ट्र न बना सके। जिनको अभी भी कुछ शंशय है वो यू ट्यूब में एक छोटा सा विडियो भी देखें key word” Question of Azad Hind Soldier”। जिन्ना को पाकिस्तान का बाप कहा जा सकता है लेकिन जो देश गांधी जी के लाखों साल पहले से हो तो उनको भारत का बाप नहीं कहा जा सकता। एक राष्ट्र सबका पिता होता है, लेकिन कोई इंसान राष्ट्र का पिता नहीं होता। मजेदार बात ये है की एक आरटीआई के जवाब में खुद काँग्रेस पार्टी ने कहा थी गांधी जी को कभी भी औपचारिक तौर पर राष्ट्रपिता की उपाधि नहीं दी गई। निवेदन है की सच्चा इतिहास जानिए, जो भी हमको पढ़ाया जा रहा है उसमें बहुत कुछ गलत है।
    जय हिन्द

    • हमारी वेबसाइट पर आपको नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर भी चंद लेख मिलेंगे, जिसमे विस्तार से उनके योगदान की चर्चा की गयी है.

      वैसे गांधीजी को राष्ट्रपिता सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस ने ही कहना शुरू किया था, हाँ ऐसी कोई पद या उपाधि नहीं होती है, इसपर RTI करने वाले कोई मूर्ख या जबरन पब्लिसिटी करने वाला हो सकता है

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