एसआईटी जांच की खामियां
एसआईटी की जांच संघ परिवार अपराधियों के बीच एक “दायित्व की कड़ी” स्थापित करने में विफल रही हैं. मोदी के दावों को कोई चुनौती नहीं दी गयी
Read moreएसआईटी की जांच संघ परिवार अपराधियों के बीच एक “दायित्व की कड़ी” स्थापित करने में विफल रही हैं. मोदी के दावों को कोई चुनौती नहीं दी गयी
Read moreएसआईटी के अधिकाँश सदस्य गुजरात पुलिस के अफसर थे, ये वही संगठन था जिसके वरिष्ठ अधिकारियों पर दंगाइयों के साथ मिलीभगत के आरोपों की उसको जांच करनी थी।
Read moreमोदी ने कंट्रोल रूम में दो मंत्रियों की मौजूदगी से अनजान होने के बारे में झूठ बोला था। एसआईटी इन मंत्रियों के फोन रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर, इनकी भूमिका की जांच करने में विफल रही।
Read moreमोदी ने बेचराजी में एक अभद्र भाषा में नफरत भरा भाषण दिया, जिस पोलीस अधिकारी ने इसका विवरण राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को प्रदान किये, उसे परेशान भी किया, और फिर दोनों काम से साफ़ झूठ बोल इनकार भी किया ।
Read moreन केवल मोदी ने एसआईटी को एक सफ़ेद झूठ बोला, बल्कि बाद में एक दूसरे सवाल जवाब में अपनी ही बात का खण्डन किया। लेकिन शक्तिहीन एसआईटी द्वारा इस को कोई चुनौती नहीं दी गयी।
Read moreयदि मोदी की मंशा वास्तव में एकदम साफ़ थी, और उन्हें कुछ भी छिपाने की ज़रुरत नहीं थी, तो फिर उनकी सरकार ने दंगों की अवधि के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड नष्ट करने में असामान्य जल्दबाजी क्यों दिखायी, जबकि कई मामले अभी भी न्यायाधीन थे?
Read moreमोदी ने अहमदाबाद शहर में अंतिम संस्कार जुलूस की अनुमति देने के बारे में आरोप से साफ़ इनकार कर दिया । किसी वजह से एसआईटी पुलिस कंट्रोल रूम लॉग, और अंतिम संस्कार जुलूस के साथ बड़ी भीड़ के बारे में अन्य सबूत देखने में विफल रही ।
Read moreलाशें विहिप को सौंपने के महत्वपूर्ण पहलू पर एसआईटी के परस्पर विरोधी निष्कर्ष, जांच की घटिया दर्जे को दर्शाते हैं।
Read moreयहां तक कि जिन पुलिस अधिकारियों को खुद एसआईटी द्वारा दोषी पाया था, उन्हने भी गुजरात सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया ।आश्चर्य की बात है, एसआईटी ने फिर भी पुलिस अधिकारियों के साथ बर्ताव के बारे में आरोप खारिज कर दिया
Read more