यदि मोदी की मंशा वास्तव में एकदम साफ़ थी, और उन्हें कुछ भी छिपाने की ज़रुरत नहीं थी, तो फिर उनकी सरकार ने दंगों की अवधि के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड नष्ट करने में असामान्य जल्दबाजी क्यों दिखायी, जबकि कई मामले अभी भी न्यायाधीन थे?
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यदि मोदी की मंशा वास्तव में एकदम साफ़ थी, और उन्हें कुछ भी छिपाने की ज़रुरत नहीं थी, तो फिर उनकी सरकार ने दंगों की अवधि के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड नष्ट करने में असामान्य जल्दबाजी क्यों दिखायी, जबकि कई मामले अभी भी न्यायाधीन थे?
मोदी ने अहमदाबाद शहर में अंतिम संस्कार जुलूस की अनुमति देने के बारे में आरोप से साफ़ इनकार कर दिया । किसी वजह से एसआईटी पुलिस कंट्रोल रूम लॉग, और अंतिम संस्कार जुलूस के साथ बड़ी भीड़ के बारे में अन्य सबूत देखने में विफल रही ।
लाशें विहिप को सौंपने के महत्वपूर्ण पहलू पर एसआईटी के परस्पर विरोधी निष्कर्ष, जांच की घटिया दर्जे को दर्शाते हैं।
क्या ‘गुजरात मॉडल’ का इतना प्रचार जायज है? ख़ास तौर पर ये देखते हुए, कि कई राज्यों ने ना केवल विकास पर गुजरात से बेहतर प्रदर्शन किया है, बल्कि मानव विकास सूचकांक (HDI) के मानकों पर भी?
एक वीभत्स हत्या के 14 वर्षीय गवाह के विवरण में एक ग़लती से क्या अपराध की वीभत्सता कम हो सकती है?
राज्य को किसी भी भारतीय नागरिक को गैर-न्यायायिक तरीके से मारने का अधिकार नहीं है । मारने के पश्चात भले ही कितने भी आरोप सामने आएं, जिनकी पुष्टि हो या नहीं, इस बुनियादी तथ्य को नहीं बदल सकते।
यहां तक कि जिन पुलिस अधिकारियों को खुद एसआईटी द्वारा दोषी पाया था, उन्हने भी गुजरात सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया ।आश्चर्य की बात है, एसआईटी ने फिर भी पुलिस अधिकारियों के साथ बर्ताव के बारे में आरोप खारिज कर दिया
राम मंदिर का वादा देकर भाजपा के सत्ता हासिल करने का खेल हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का लाभ उठाने पर आधारित था, जिसके परिणामस्वरूप ध्रुवीकरण, घृणा और कट्टरता में हुई वृद्धि का भाजपा को सीधे लाभ मिला।
एक नरसंहार को नियंत्रित करने में श्री मोदी, जिन्हें आमतौर पर एक कुशल व सक्षम प्रशासक माना जाता है करने, वास्तव में असमर्थ थे, या वह इसको रोकना चाहते ही नहीं थे?
मोदी ने उन अखबारों के काम की प्रशंसा की जिन्होंने दंगों के दौरान हिंदुओं के लिए उकसाया था ।